शहामतगंज पुल चालू हो गया लेकिन आईवीआरआई पुल रेलवे की ढिलाई से अब तक पूरा नहीं हो पाया है. जनता को आवागमन में दिक्कत हो रही है लेकिन रेल अफसर न तो जनता की दिक्कत समझ रहे हैं और न ही उन्हें प्रोजेक्ट की बढ़ती लागत से कोई सरोकार है.
अब यह मुद्दा 11 सितंबर को बरेली आ रहे पूर्वोत्तर रेलवे महाप्रबंधक के सामने उठाकर तय समय पर काम पूरा नहीं करने पर दोषी अफसरों और ठेकेदार पर क्या एक्शन लिया गया इस पर बात होगी. .
आईवीआरआई ओवरब्रिज दिसम्बर 16 में बनना शुरू हुआ था. तब इसकी लागत 38 करोड़ रुपये थी और इसे दिसम्बर 18 में पूरा होना था. इसमें नौ करोड़ रुपये रेलवे को लगाना था. सेतु निगम अपना काम पूरा करके बैठा है.
रेलवे काम पूरा करे तो वह बाकी काम को अंतिम रूप दे लेकिन रेल अफसरों की ढिलाई से इस प्रोजेक्ट की लागत बढ़कर 54 करोड़ हो गई. रेलवे की लागत भी 19 करोड़ हो गई. इसी प्रोजेक्ट में उसने अंडरपास के काम को भी शामिल कर लिया.
इस प्रोजेक्ट को पूरा होने का समय भी मार्च 19 कर दिया गया है. नियम है कि रेलवे की गलती या कमी से ठेकेदार काम शुरू नहीं कर पाता है तो उसके लेबर, मैटेरियल कास्ट की भरपाई के लिए रेलवे उसे प्राइज वेरीएशन कास्ट यानि पीवीसी का लाभ देता है.
इससे काम पूरा नहीं होने का दर्द ठेकेदार को नहीं होता क्योंकि उसे बिना काम के ही रेलवे भारी रकम अदा करता है. कुछ ऐसा ही मामला आईवीआरआई प्रोजेक्ट में रेलवे की ओर से आ रहा है.