स्मार्ट सिटी योजना में चुने जाने पर अब शहर के जरी, मांझा और सुरमे का पूरे विश्व में डंका बजेगा. यहां की कुटीर उद्योगों को भी विश्व स्तर पर पहचान मिलेगी. साथ ही इनसे जुड़े लाखों कारीगरों का उत्थान होगा.
इतना ही नहीं, प्रोजेक्ट में कारीगरों को ट्रेनिंग से लेकर उनके तैयार माल को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचने की भी सुविधा होगी. इससे जहां शहर के राजस्व में वृद्धि होगी, वहीं आम आदमी के जीवन स्तर में भी सुधार आएगा.
प्रोजेक्ट में शामिल एरिया बेस डेवलेपमेंट के तहत बनाए प्रस्ताव में यहां के लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास के लिए काम होंगे.
हैंडीक्राफ्ट रिसोर्स सेंटर : शहर में जरी का बड़ा कारोबार है लेकिन इसमे लगे कारीगरों को उनकी मेहनत का पूरा लाभ नहीं मिल पाता. इसी तरह यहां मांझा और सुरमा का भी बड़ा काम है. इन कारीगरों में निखार लाने के लिए हैंडीक्राफ्ट रिसोर्स सेंटर बनाए जाएंगे.
कोऑपरेटिव सोसायटी : शहर में करीब साढ़े चार लाख जरी कारीगर हैं और हजारों लोग मांझा और सुरमा बनाने में लगे हुए हैं. जरी कारीगरों के लिए कोऑपरेटिव सोसायटी बनाई जाएंगी. इसके तहत सभी कारीगरों को शामिल किया जाएगा.
रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर : हैदराबाद की दाराशा कंपनी द्वारा बनाए गए प्रपोजल में जरी, मांझा, सुरमा जैसे कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए रिसर्च सेंटर बनाने का भी प्रस्ताव है. इस सेंटर पर इन कामों में और निखार कैसे आए, इस पर काम किया जाएगा.