इन्वर्टिस के बगल में स्थापित सॉलिड वेस्ट प्लांट शिफ्ट करने के लिए बुने जाल में महापौर और नगर आयुक्त उलझते दिख रहे हैं. नए प्लांट के लिए फरीदपुर के पास बहगुलपुर गांव में राज्यपाल के नाम जिस जमीन का बैनामा नगर निगम ने दिखाया है, उसका जवाब नहीं दे पा रहे.
खासकर, अनुमति और प्राधिकार किसने दिया, यह महीने भर में भी साबित नहीं किया जा सका है. लंबे इंतजार के बाद बुधवार को सहायक महानिरीक्षक स्टांप ने नगर आयुक्त को रिमाइंडर नोटिस जारी कर दिया.
35 दिन में कोई जवाब या अधिकृत कागजात न प्रस्तुत कर पाने के बाद अब 30 मई तक का अल्टीमेटम दिया है. इस अवधि में कोई दस्तावेज पेश न करने पर स्टांप कमी का मुकदमा दर्ज किया जाना तय है.
18 अप्रैल को दिया था नोटिस: नगर निगम ने बहगुलपुर में प्लांट के लिए कुल 110 बीघा जमीन किसानों से खरीदी है. किसानों से खरीदी जमीन का बैनामा राज्यपाल के पक्ष में हुआ. निगम की तरफ से बैनामों पर निष्पादक यानी क्रेता पक्ष तौर पर कर निर्धारण अधिकारी राकेश कुमार सोनकर ने हस्ताक्षर किए थे.
यही नहीं, विलेखों के साथ नगर निगम की तरफ से राज्यपाल या नगर विकास विभाग के सचिव, प्रमुख सचिव का कोई सहमति प्राधिकार पत्र पेश नहीं किया. फरीदपुर के उपनिबंधक एके सिन्हा ने इसकी रिपोर्ट एआइजी को भेजी थी. 18 अप्रैल को एआइजी ने नगर आयुक्त को नोटिस भेजा था.
35 दिन में जवाब नहीं, अब आठ दिन का दिया गया समय: महापौर से लेकर नगर आयुक्त ने एआइजी के नोटिस को निराधार बताकर अधिकार होने के जुबानी दावे तो बहुत किए लेकिन इन 35 दिन में कोई कागज नहीं प्रस्तुत किया. नवागत एआइजी बृजचंद्र सिंह ने 30 मई तक राज्यपाल की प्राधिकार पत्र या सचिव, प्रमुख सचिव से जारी अनुमति का पत्र प्रस्तुत करने का वक्त दिया है.