इस शैक्षिक सत्र से मिड डे मील में बच्चों को घटिया दाल नहीं खानी पड़ेगी. इस बार स्कूलों में नेशनल एग्रीकल्चर कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (नेफेड) अरहर की दाल की सप्लाई करेगा. पहले तीन महीने में 52098 कुंतल दाल प्रदेश भर में भेजी जाएगी.
मिड डे मील में भ्रष्टाचार की सबसे अधिक शिकायतें आती हैं. अरहर की दाल की जगह बच्चों को खेसारी की दाल खिलाने के कई मामले सामने आ चुके हैं. इस बार मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण ने नेफेड से दाल लेने का फैसला किया है. तय हुआ है कि 10 और 5 किलोग्राम के पैकेटों में दाल की सप्लाई की जाएगी.
दाल की गुणवत्ता किसी भी दशा में एफएसएसएआई के मानक से निम्न नहीं होगी. दाल की गुणवत्ता की जांच संयुक्त रूप से एफसीआई और नेफेड की टीम करेगी. एक सैंपल नेफेड के पास सुरक्षित रहेगा और एक सैंपल एफसीआई के पास सुरक्षित रखा जाएगा. नेफेड एफसीआई के गोदाम तक दाल भेजेगा.
गोदाम से स्कूल तक परिवहन में होने वाला खर्च मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण देगा.बच्चों को मिलेगी उच्च गुणवत्ता की दाल:मिड डे मील के जिला समन्वयक गौरव तिवारी ने बताया कि अभी तक स्कूल अपने स्तर पर दाल खरीदते थे. अब नेफेड से दाल भिजवाने का फैसला लिया गया है. इससे बच्चों को उच्च गुणवत्ता की दाल मिल सकेगी.
मेन्यू के हिसाब से इस समय स्कूलों में हफ्ते में कम से कम दो दिन दाल खिलाने का प्रावधान है. दाल की खरीद अभी स्कूल अपने स्तर पर ही करते हैं तो इसमें खूब घोटाला होता है. अक्सर अरहर की दाल की जगह खेसारी की दाल इस्तेमाल की जाती है या फिर घटिया गुणवत्ता की दाल लाई जाती है. बदायूं के कस्तूरबा स्कूल में खेसारी की दाल खिलाने का मामला पकड़ में भी आ चुका है.
मेन्यू के हिसाब से इस समय स्कूलों में हफ्ते में कम से कम दो दिन दाल खिलाने का प्रावधान है. दाल की खरीद अभी स्कूल अपने स्तर पर ही करते हैं तो इसमें खूब घोटाला होता है. अक्सर अरहर की दाल की जगह खेसारी की दाल इस्तेमाल की जाती है या फिर घटिया गुणवत्ता की दाल लाई जाती है. बदायूं के कस्तूरबा स्कूल में खेसारी की दाल खिलाने का मामला पकड़ में भी आ चुका है.