लिखा-पढ़ी में हर हाल में दो अक्तूबर तक बरेली खुले में शौच से मुक्त हो जाएगा. हालांकि प्रशासन 15 अगस्त तक ही बरेली को ओडीएफ करने की तैयारी कर रहा है. सरकरी ऐलान के बाद भी जिला पूरी तरह ओडीएफ नहीं हो सकेगा.
प्रशासन छह साल पुराने बेस लाइन सर्वे को आधार बनाकर गरीबों को शौचालय बांट रहा है. 2012 के बाद के गरीबों को बेस लाइन सर्वे में जगह नहीं दी है. पंचायती राज विभाग कारपोरेट कंपनियों के सीएसआर फंड के जरिए बेस लाइन से छूट गरीबों को शौचालय मुहैया कराने की तैयारी है.
सरकार ने 2012 में बेस लाइन सर्वे कराया था. छह साल पहले जिन गरीबों के घरों में सर्वे नहीं था उनको बेस लाइन सर्वे में शामिल किया गया था. बरेली में 2.38 लाख शौचालय बनाने का टारगेट दिया गया था. बेस लाइन सर्वे में शामिल परिवारों से से करीब 1.66 लाख को शौचालय दे दिए गए.
अभी 72 हजार परिवारों में शौचालय बनना बाकी है. प्रशासन ने छह-छह हजार की पहली किस्त लाभार्थियों के खातों में भेजनी शुरू कर दी है. मगर प्रशासन की आंकड़ेबाजी के बाद भी बड़ी संख्या में गरीब परिवारों को शौचालय नहीं मिल सकेंगे.
सौ फीसदी बरेली को ओडीएफ करने में बेस लाइन सर्वे से छूटे गरीब मुसीबत बन गए हैं. प्रशासन टेंशन में है. सरकार सिर्फ बेस लाइन सर्वे में शामिल परिवारों को ही शौचालय के लिए बजट मुहैया करा रही है.
प्रशासन बेस लाइन सर्वे में छूटे पात्र परिवारों को कारपोरेट कंपनियों के सीएसआर फंड से शौचालय बनवाने की तैयारी कर रही है. आईसीआईसीआई और एचडीएफसी ने गरीबों के शौचालय बनाने का प्रस्ताव दिया है.
बेस लाइन सर्वे 2012 का है. सर्वे के बाद कु छ गरीब परिवार शौचालय के लिए पात्र हैं. उनके शौचालय बनवाने के लिए कंपनियों के सीएसआर फंड का इस्तेमाल कराने की योजना है. कंपनियों से बात हुई है. कुछ कंपनियों ने शौचालय बनाने का प्रस्ताव दिया है.
– वीके सिंह, डीपीआरओ