शहर में हजारों की तादाद में ऐसे मकान हैं जिनमें कार की पार्किग करने के भी पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. शहर की कई कालोनियों में जाकर जमीनी पड़ताल की तो सामने आया कि औसतन महज पांच फीसद मकानों में ही नई कार खड़ी करने की जगह थी.
बाकी, हजारों मकानों की कार सड़क पर ही अपनी पार्किग जमाए हुई थीं. ऐसे में हाईकोर्ट के हालिया आदेश के बाद शहरवासियों के लिए नई कार खरीदने की टेंशन से ज्यादा बड़ी परेशानी का सबब कार खड़ी करने की जगह को लेकर होगी.
जाहिर है कि पुराने मकानों को तुड़वाकर फिर से पार्किग की जगह निकालनी पड़ेगी. ऐसे में साफ तौर पर नई कार खरीदने का खर्च भी बढ़ जाएगा.
डेढ़ लाख मकान, अधूरे न रह जाएं अरमान : बरेली विकास प्राधिकरण के अनुसार इस समय शहर में करीब डेढ़ लाख मकान हैं. इनमें से नगर निगम इलाके के अलावा बीडीए की खुद की बाइस कालोनी और निजी कॉलोनाइजर्स द्वारा अप्रूव्ड 25 कालोनी के अलावा आवास-विकास के भी कुछ क्षेत्र शामिल हैं.
करीब आठ साल पहले बीडीए ने अपने सर्वे में पूरे शहर में से महज तीन मकान ही मानक अनुरूप बने हुए पाए थे. ऐसे में साफ है कि अब भी कुछ मकान ही नक्शों के अनुरूप बने हैं. ऐसे में इन मकान में रहने वाले लोगों के लिए नई कार लेने का अरमान अधूरा रह सकता है