तीन तलाक और हलाला पीड़ित महिलाओं की आवाज बनी आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी की निदा खान और मेरा हक फाउंडेशन की अध्यक्ष फ़रहत नक़वी के खिलाफ जामा मस्जिद से आवाज उठी है.
शहर इमाम मुफ़्ती खुर्शीद आलम ने दोनों को आजाद ख्याल औरत बताते हुए इस्लाम से खारिज करने की बात कही. उन्होंने कहा कि शरीयत पर उंगली उठाने वाले और उसमें दखलंदाजी करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
नमाज के पहले हुई तकरीर
मुफ़्ती खुर्शीद आलम ने खास तौर पर दोनों का नाम लेते हुए कहा कि दोनों शरीयत के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रही हैं और निदा खान ने तो अपनी संस्था का नाम आला हजरत के नाम पर आला हजरत हेल्पिंग सोसाइटी के जरिये शरीयत के खिलाफ मुहिम चला रही है जबकि शरीयत की हिफाजत और अमल करने की वजह से आला हजरत की शख्सियत पूरी दुनिया में जानी जाती है.
शहर इमाम ने कहा कि निदा और फ़रहत हलाला का विरोध कर रही हैं ये शरीयत और कुरान का विरोध है और जो कुरान का विरोध करे वो इस्लाम से खारिज हो सकता है. इसलिए वह तौबा कर अपने ईमान की रक्षा करें.
निदा बोलीं किसी भी धर्म का पालन करना मेरा मौलिक अधिकार
वहीं इस्लाम से खारिज किए जाने के सवाल पर निदा खान ने कहा कि संविधान ने हमें अधिकार दिया है कि हम किसी भी धर्म का पालन करें और ये मेरा मौलिक अधिकार है और जो लोग इस्लाम से खारिज करने की बात कह रहे हैं उन्हें किसी ने ये अधिकार नहीं दिया है और संविधान में भी ये अधिकार नहीं है.
इस्लाम किसी दुकान पर नहीं मिलता है कि आज दे गए और कल वापस ले गए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वो शरीयत का विरोध नहीं कर रही हैं बल्कि शरीयत के आड़ में जो गलत काम हो रहे हैं उसके खिलाफ हैं. अगर उन्हें इस्लाम की चिंता होती तो वो पीड़ित लड़की का साथ देते न कि उसके खिलाफ बयानबाजी करते इससे इस्लाम ज्यादा बदनाम हो रहा है.
कितनी फ़रहत होंगी खारिज
वहीं इस मामले में फ़रहत नक़वी ने कहा कि उन्हें इस्लाम से खारिज करने की बात कही जा रही है लेकिन अब तो तमाम महिलाएं जुल्म से परेशान होकर इंसाफ के लिए अपने घरों से निकल पड़ी हैं. ऐसी कितनी महिलाओं को इस्लाम से खारिज किया जाएगा.
उनकी जैसी तमाम फ़रहत हैं जो जागरूक हो चुकी हैं और उनकी आवाज को दबाया नहीं जा सकता. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अभी तक तो सिर्फ औरतों पर जुल्म हो रहा था लेकिन अब क्या इस्लाम से औरतों का वजूद ही खत्म कर दिया जाएगा.
कौन हैं निदा- फ़रहत
निदा खान और फ़रहत नक़वी तलाक पीड़ित महिलाओं की लड़ाई लड़ रही हैं. निदा खान आला हजरत खानदान की बहू रह चुकी हैं लेकिन उनको पति ने तलाक दे दिया था जिसके बाद वो अपने मायके में रह रही हैंं और पति के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं.
निदा खान ने तलाक पीड़ित महिलाओं के लिए आला हजरत हेल्पिंग सोसाइटी नाम की संस्था बनाई है. जबकि फ़रहत नक़वी भी अपने शौहर से अलग अपने मायके में रह रही हैं. केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की बहन फ़रहत नक़वी की संस्था मेरा हक फाउंडेशन तलाक पीड़ित महिलाओं की मदद करता है.
https://youtu.be/la27Fn3YO3I?t=77