आखिरकार वहीं हुआ जिसकी आशंका थी। विरोध को मद्देनजर दोपहर तक कलारी गांव में ही ताजिये घूमते रहे। आगे नहीं बढ़ सके। दरअसल दूसरे पक्ष ने अवरोधक खड़े कर गांव के रास्ते ही बंद कर दिए थे। पुलिस ने जब जब लाठी फटकार कर ग्रामीणों को खदेड़ा और रास्ता खुलवाना चाहा तो विधायक पुलिस से भिड़ गए। बोले ग्रामीणों पर बल प्रयोग नहीं होना चाहिए। आखिर में पुलिस-प्रशासन ने ताजियेदारों को मनाकर कलारी से ही जुलूस लौटा दिया। तब ताजिये उमरिया में दफन किए गए।
खजुरिया में तनाव को देखते हुए एडीजी जोन प्रेम प्रकाश शुक्रवार सुबह से ही मोर्चा संभाले हुए थे। एडीजी के साथ डीएम-एसएसपी व अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। इधर गांव वाले भी सुबह से ही विरोध में उतर आए। खजुरिया के साथ ही आसपास के गांव वाले भी जुट गए। ग्रामीणों ने जुलूस रोकने के पूरे इंतजाम कर लिए थे। उनका साफ कहना था कि खजुरिया गांव से किसी भी कीमत पर जुलूस नहीं निकलने देंगे। खजुरिया के लोगों ने गांव से पहले नदी के पुल की तरफ मिट्टी भरकर दो ट्राली खड़ी करके रास्ता रोक दिया।
ट्राली के पहियों में पंचर कर दिया गया, जिससे वह आगे-पीछे न हो सकें। ट्राली इस तरह से खड़ी की गई थी कि ताजिये तो दूर बाइक तक नहीं निकल सकती थी। इसी तरह से सिमरा और कंथरिया में भी ट्राली व ट्रक खड़ा करके रास्ता रोकने की पूरी तैयारी कर ली थी। पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों ने पहले तो ग्रामीणों को समझाया। बात न बनते देख एसएसपी मुनिराज ने सख्ती अपनाते हुए जेसीबी से ट्रेक्टर को पलटवा दिया व लाठी चार्ज करते हुए ग्रामीणों को खदेड़ा जबकि कुछ को हिरासत में ले लिया। ग्रामीणों पर सख्ती हुई तो विधायक मौके पर पहुंच गए। उन्होंने पुलिस से साफ कह दिया कि ग्रामीणों पर बल प्रयोग नहीं होना चाहिए।
इधर दोपहर बाद करीब तीन बजे तक ताजिये कलारी गांव में ही घूमते रहे आगे नहीं बढ़ सके। विरोध को देखते हुए पुलिस-प्रशासन के अधिकारी कलारी गांव पहुंचे। यहां पर वर्तमान, पूर्व प्रधान व ग्रामीणों से बातचीत की। जिसके बाद ग्रामीण ताजिया न निकालने की बात कहते हुए वापस गांव लौट गए। कलारी के प्रधान रहीम खां ने बताया की जैसा रात में प्रशासन से तय हुआ था उसी के अनुसार दिन भर गांव में ताजिये घुमाकर मेहंदी और फूलों को कार से डोहरा चौराहे से सैटेलाइट होकर उमरिया भेजकर वहां दफन करवा दिया गया।
पुलिस के डर से सोफे के नीचे घुसा युवक
पुलिस के डर से सिमरा गांव में एक युवक घर में सोफे के नीचे घुस गया। विधायक और मीडिया के पहुंचने के आधे घंटे बाद वह सोफे के नीचे से निकला। पूछने पर उसने बताया की पुलिस के डर से सोफे के नीचे घुस गया था। गिरफ्तारी पर खजुरिया पहुंचे विधायक
गांव वालों की गिरफ्तारी और पुलिस के लाठीचार्ज की सूचना पर विधायक पप्पू भरतौल खजुरिया गांव पहुंच गए। उन्होंने कप्तान के लाठीचार्ज करने व ग्रामीणों को गिरफ्तार करने की शिकायत एडीजी से करते हुए लोगों को तुरंत छोड़ने को कहा। दिन भर विधायक गांव में रहे लेकिन शाम तक पकड़े गए किसी भी व्यक्ति को पुलिस ने नहीं छोड़ा।
कप्तान और विधायक आमने-सामने गांव वालों की गिरफ्तारी की सूचना पर विधायक पप्पू भरतौल कनथरिया गांव पहुंचे तो कप्तान मुनिराज जी भी वहा मौजूद थे। इसके बाद भी कप्तान ने पकड़े गए एक भी ग्रामीण को नहीं छोड़ा। आमने-सामने पड़ने पर भी कप्तान और विधायक ने एक दूसरे से बातचीत नहीं की। कुछ देर रुकने के बाद विधायक खजुरिया चले गए और कप्तान शहर की तरफ।