प्रधानमंत्री मोदी युवाओं को मुफ्त तकनीकी शिक्षा देकर रोजगार के अवसर मुहैया कराना चाहते हैं. कौशल विकास मिशन के तहत सरकार युवाओं की ट्रेनिंग पर मोटा बजट खर्च कर रही है.
मगर बरेली के आईटीआई प्रशासन ने सरकार के मिशन को झटका दे दिया. लड़कों को बगैर तकनीकी शिक्षा दिए ही प्रमाण पत्र जारी कर दिए.
सीडीओ से शिकायत हुई तो खलबली मच गई. सीडीओ ने मामले की जांच डीडीओ को सौंप दी है. एक सप्ताह में जांच पूरी करनी होगी.
सरकार ट्रेनिंग देने वाली संस्थाओं को 26 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से भुगतान करती है. कौशल विकास विकास मिशन के तहत क्यारा ब्लॉक के रोंधी गांव के दो युवकों ने सीबीगंज के आईटीआई में इलेक्ट्रिकल ट्रेड में प्रवेश लिया था.
तीन महीने के कोर्स में लड़कों ने एक भी दिन ट्रेनिंग नहीं की. दो लड़कों ने गुरुवार को सीडीओ और आंवला सांसद धर्मेंद्र कश्यप को पूरा मामला बताया. बगैर प्रशिक्षण दिए ही प्रमाण पत्र जारी करने की बात कही. शुक्रवार को सीडीओ ने पड़ताल शुरू कर दी.
आईटीआई के प्रिंसीपल को बुलाकर सीडीओ ने जानकारी की. प्रिंसीपल ने मामला पिछले साल का बताया. साथ ही लड़कों को दोबारा ट्रेनिंग देने की बात कही. सीडीओ ने डीडीओ को मामले की जांच दी है. डीडीओ मामले की पड़ताल करेंगे. आईटीआई प्रशासन और लड़कों से पूछताछ की जाएगी.
लड़कों को बुलाकर दोबारा ट्रेनिंग का प्रस्ताव: आईटीआई के प्रिंसीपल ने शिकायत करने वाले रोंधी के दोनों लड़कों को बुलाया. मामला रफा-दफा करने के लिए युवकों से लिखित बयान भी लिए हैं. दोनों लड़कों को आईटीआई प्रशासन दोबारा ट्रेनिंग देने को तैयार है.
प्रिंसीपल की सुनिए: आईटीआई के प्रिंसीपल राजकुमार शाक्य ने बताया कि दोनों लड़कों का दाखिला 2016-17 में हुआ था. 27 बच्चों का बैच था. ट्रेनिंग दी गई थी. लड़के ट्रेनिंग लेने नहीं पहुंचे होंगे. ट्रेनिंग पूरी होने का प्रमाण पत्र दिया गया है. लड़कों का असेसमेंट कर लिया गया है. फाइनल प्रमाण पत्र अभी नहीं दिया गया है. लड़कों को संस्थान में दोबारा ट्रेनिंग करा दी जाएगी.
सीडीओ की बातसीडीओ : सत्येंद्र कुमार ने बताया कि लड़कों की शिकायत गंभीर है. हमनें आईटीआई के प्रिंसीपल से बात भी की है. मामले की जांच डीडीओ को सौंपी दी है. जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई पर निर्णय किया जाएगा.