स्कूलों के सामने एक बड़ी समस्या कैंपस में घट रहे यौन अपराधों को रोकना है. कम आयु में ही छात्र-छात्राएं किशोरों जैसे कदम उठा रहे हैं.
इस बदलाव के प्रति अगर जागरूक नहीं हुआ गया तो खतरनाक परिणाम देखने को मिलेंगे. सीबीएसई के पूर्व अकादमिक डायरेक्टर डॉ जी बालासुब्रमण्यम ने यह विचार रखे.
मौका था बरेली सहोदय स्कूल कांपलेक्स की सीबीएसई स्कूलों में सुरक्षा और लीडरशिप पर हुई वर्कशॉप का. होटल सोबती में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ जी बालासुब्रमण्यम ने कहा कि डब्लूएचओ भी किशोरावस्था की उम्र बदलने जा रहा है.
बालकों की उम्र 9 वर्ष और बालिकाओं की 7 वर्ष करने पर लगभग सहमति बन गई है. यह बदलाव तमाम शारीरिक और सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन के बाद किया जा रहा है. समयपूर्व किशोरावस्था यौन अपराधों को बढ़ावा दे रही है.
8 से 10 वर्ष आयु के छात्र-छात्राओं में यौन आकर्षण बढ़ रहा है. इससे निपटने को हमें कड़ी तैयारी करनी होगी. बच्चों का मनोविज्ञान समझने को टीचर को अतिरिक्त रूप से ट्रेंड करना होगा. शिक्षकों और कर्मचारियों के साइकोलॉजिकल टेस्ट भी इसका एक हिस्सा है.
2500 से ज्यादा वर्कशॉप कर चुके
उन्होंने लीडरशिप से जुड़े कई जरूरी टिप्स भी दिए. बालासुब्रमण्यम अभी तक पूरे देश में 2500 से ज्यादा वर्कशॉप कर चुके हैं.
वर्कशॉप में बरेली सहोदय के अध्यक्ष चेयरमैन आरसी धस्माना, सचिव आईपीएस चौहान, राजेश अग्रवाल जौली, कैप्टन राजीव ढींगरा, रणवीर सिंह रावत, गुरु महरोत्रा आदि मौजूद रहे.