उर्स-ए-रजवी के दूसरे दिन आयोजित तहफ्फुजे मजहब और मसलक कॉन्फ्रेंस में दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा खां कादरी अहसन मियां ने मुसलमानों की कमजोर माली हालत पर फिक्र जताते हुए कहा कि शरई तौर पर मालदार मुसलमान अपनी कमाई का सिर्फ ढाई प्रतिशत हिस्सा गरीब मुसलमानों को देकर अपनी पूरी कौम की गरीबी दूर कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि अगर मुसलमानों की माली हालत दुरुस्त होगी तो वे तालीमी तौर पर भी आगे बढ़ेंगे और इससे उनकी तरक्की के बंद रास्ते खुल जाएंगे. इस्लामिया ग्राउंड में दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खां सुब्हानी मियां की सदारत में आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में तुर्की से आए मौलाना उस्मान करेबी ने आला हजरत सुन्नियत का सच्चा अलंबरदार बताया.
अमेरिका से आए मौलाना डॉ. गुलाम जरकानी ने कहा कि आला हजरत ने सुन्नियों के ईमान की हिफाजत की, यही वजह है कि मसलके आला हजरत के इल्म की शमा दुनिया भर में रोशन हो रही है. मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा कि मुल्क-ए-हिंदुस्तान को अंग्रेजों से आजाद करने में मदरसों और मुसलमानों की भी एतिहासिक भूमिका रही है.
मारीशस के मौलाना शमीम नूरानी, मौलाना जीशान रजा मंजरी, मौलाना फैसल अहमद, साउथ अफ्रीका के मौलाना सैय्यद अरशद इकबाल,मौलाना मूसा, बंगलादेश के मौलाना हारुन रशीद, इंग्लैंड के मुफ्ती फरोग उल कादरी, दिल्ली के मौलाना साबिर उल कादरी समेत कई प्रांतों के आलिमों ने भी कॉन्फ्रेंस को खिताब किया.
संचालन कारी यूसुफ रजा ने किया. इस बीच रात 1:40 बजे मुफ्ती आजम हिंद हजरत मुस्तफा रजा खां के कुल की रस्म अदा की गई जिसमें भारी तादाद में लोगों ने शिरकत की. इससे पहले सुबह हुए कार्यक्रम के दौरान कुरान ख्वानी के बाद जलसा हुआ. इसमें रेहाने मिल्लत हजरत रेहान रजा खां का कुल शरीफ हुआ.