जिले में मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए सरकार अब ऐसे मरीजों के इलाज की तैयारी कर रही है जो इन बीमारियों से परेशान होकर मन्दिर और मजारों पर झाड़ फूंक के लिए जाते हैं. जल्द ही राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सरकार मन्दिर और मजारों पर कैम्प लगा कर मानसिक रोगियों का इलाज करेगी.
बरेली के साथ ही प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस योजना पर काम शुरू हो गया है. इस कार्यक्रम में मानसिक रोग चिकित्सक, काउंसलर के साथ ही समाजसेवी भी शामिल होंगे. इस कार्यक्रम को “दवा से दुआ तक” नाम दिया गया है.
सरकार का निर्देश है कि सभी मानसिक रोगियों के साथ साथ मंदिर और मजारों पर आने वाले लोगों की धार्मिक भावनाओं और आस्था का पूरा सम्मान किया जाए और प्रबंधकों की अनुमति के बाद ही वहां शिविर लगाया जाए.
शुरुआती दौर में मिलेगा इलाज
मनोचिकित्सक जिला अस्पताल डॉक्टर आशीष से जब इस संबध में बाम की गई तो उन्होंपे बताया कि मानसिक बीमारी और मानसिक रोगी दोनों ही अन्य रोगों और मरीजों से अलग होते हैं. आमतौर पर दमा, मिर्गी, हिस्टीरिया जैसी बीमारी होने पर शुरू में लोग धार्मिक स्थानों पर जाते हैं.
अपनी आस्था के अनुसार मौलवी या पुजारी से पूजापाठ के अलावा झाड़ फूंक कराते हैं. कई बार ऐसे मरीजों को पता ही नहीं होता कि उनकी बीमारी का इलाज संभव है और उनको सही दवा मिले तो वे स्वस्थ हो सकते हैं.
मानसिक रोग विभाग की ओपीडी में आने वाले 99 प्रतिशत मरीज पहले से ही किसी न किसी मजार-मंदिर पर जा चुके होते हैं. इसे देखते हुए मरीजों के लिए यह योजना तैयार की गई है. इसका फायदा ये होगा कि मरीजों को रोग के शु/ शुरुआती दौर में ही इलाज मिल सकेगा
यह है कार्यक्रम का उद्देश्य
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ये है कि मानसिक रोगियों को यदि शुरुआती चरण में ही उनके रोगों की पहचान करके यही इलाज मुहैया करा दिया जाए तो समय रहते रोगों को काबू में किया जा सकता है.
इसके साथ ही मिर्गी, दमा, साइकोटिक डिसआर्डर जैसी बीमारियों का इलाज करना आसान हो जाएगा, लेकिन विभाग इस योजना में ये भी ध्यान रखेगा कि किसी की आस्था पर चोट किए बिना रोगियों को उनकी बीमारियों का इलाज मुहैया कराया जाए.