रजऊ परसपुर स्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की जमीन बेचने के मामले में महापौर डॉ. उमेश गौतम और पूर्व महापौर डॉ. आइएस तोमर के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है.
मामला इतना तूल पकड़ गया है कि दोनों ने एक-दूसरे की काबलियत पर भी सवाल खड़े किए हैं. मामला डिग्रियां चेक कराने तक पहुंच गया है. महापौर उमेश गौतम ने गलती का ठीकरा अफसरों पर फोड़ने का आरोप लगाया है.
यहां तक कहा कि जमीन बेचने का प्रस्ताव पास होने के बाद भी घोटाले की नीयत से डॉ. तोमर ने सॉलिड वेस्ट प्लांट वहीं पर लगवाया. वहीं, पूर्व महापौर ने उमेश गौतम को ड्रामेबाज कहा है.
बोले, वे खुद ही प्लांट की जमीन खरीदना चाहते हैं. इसलिए पूरा खेल रचा जा रहा है. यह भी कहा है कि मौजूदा महापौर पूर्व में खुद ही जमीन कब्जाने की बात कुबूल चुके हैं.
बिगड़ गया है मानसिक संतुलन : महापौर डॉ. उमेश गौतम ने कहा कि पूर्व महापौर का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है. इनके सीट पर रहते हुए कोई अधिकारी कैसे गलत प्रस्ताव पास करा लेगा. इसका मतलब तो यह है कि पढ़े-लिखे मूर्ख हैं, जो सही-गलत का पता भी नहीं कर पाए.
लालू यादव भी ऐसी गलतियों के कारण जेल गए. तोमर अपनी गलतियां अधिकारियों पर थोपना चाहते हैं. अधिकारी अच्छे हैं. इन जैसे नेता ही अधिकारियों को गलत काम के लिए प्रेरित करते हैं.
महापौर ने कहा कि ये पढ़े-लिखे हैं भी कि नहीं, इनकी डिग्रियों की जांच होनी चाहिए. बोले, जब 2002 में जमीन बेचने का प्रस्ताव पास हो गया था तो उस पर प्लांट क्यों लगाया गया. इसके पीछे घोटाला करने की ही मंशा रही होगी.