खानकाह-ए-बरकातिया मारहरा शरीफ के सज्जादानशीन सैयद अमीन मियां के उर्स-ए-रजवी के दौरान मुसलमानों को ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह अजमेर शरीफ न जाने की हिदायत देने के कथित बयान पर बरेलवी मसलक की ओर से सफाई पेश करने का सिलसिला शुक्रवार को भी जारी रहा. शहर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम ने शाही जामा मस्जिद में जुमे की नमाज अदा कराने से पहले एलान किया कि दरगाह अजमेर शरीफ में सुन्नियों को लाख धक्के मिलें लेकिन उनका वहां जाना फिर भी बंद नहीं होगा. उन्होंने कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज की चौखट सुन्नियों का मरकजे अकीदा है. इसमें किसी को कोई शुबहा नहीं है.
उर्स-ए-रजवी के कुल के मौके पर खानकाह-ए-बरकातिया मारहरा शरीफ के सज्जादानशीन अल्लामा सैय्यद अमीन मियां ने ख्वाजा गरीब नवाज हजरत मोईन उद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर शरीफ के खादिमों पर आला हजरत के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाते हुए मुसलमानों को दरगाह अजमेर शरीफ न जाने की हिदायत दी थी.
उनका यह बयान अखबारों की सुर्खियां बना तो अगले ही दिन उन्होंने सफाई पेश की और इस बात से इंकार कर दिया कि उन्होंने मुसलमानों को अजमेर शरीफ न जाने जैसी कोई हिदायत दी है.
इस बीच दरगाह आला हजरत के सरपरस्त मौलाना सुब्हान रजा खां सुब्हानी मियां ने भी ख्वाजा गरीब नवाज को सभी की आस्था का केंद्र बताते हुए मुसलमानों को वहां न जाने की हिदायत देने जैसी बात से जरा भी इत्तफाक होने से साफ इंकार कर दिया था.
मगर इसके बावजूद बृहस्पतिवार को तब यह मामला और तूल पक़ड़ गया जब दरगाह अजमेर शरीफ के गद्दीनशीन खादिम सैयद सरवर चिश्ती ने प्रतिक्रिया जताते हुए यह कह दिया कि बरेलवियत सुन्नियों की ठेकेदार नहीं है.
अजमेर शरीफ के गद्दीनशीन की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद बरेलवी मसलक की ओर से शुक्रवार को भी सफाई पेश की गई. मुफ्ती खुर्शीद आलम ने किला की शाही जामा मस्जिद में जुमे की नमाज से पहले अपनी तकरीर में कहा कि अहले सुन्नत वल जमात में इत्तेहाद रहना चाहिए.
तमाम खानकाहें मुत्तहिद हों, ये वक्त की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि हुजूर अमीन मियां किबला के जुबान से जो बयान हुआ था, उसका ये कतई मतलब नहीं था कि मुसलमान अजमेर शरीफ जाना छोड़ दें. उस बयान का निचोड़ यह है कि जो सहाबा के गुस्ताख हैं यानी हजरते अमीर माविया के गुस्ताख हैं, उनसे दूरी अख्तियार करो.