बेसिक शिक्षा विभाग में हुए तमाम घोटालों की फाइल मुख्यमंत्री ऑफिस के निर्देश पर कमिश्नर ने फिर खुलवा दी है. बेसिक शिक्षा विभाग में स्वेटर और फर्नीचर खरीद, कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में राशन तथा बिस्तर आपूर्ति आदि में वित्तीय घपलेबाजी के कई मामले सामने आए थे.
बताते हैं कि सीएम कार्यालय के निर्देश के बाद कमिश्नर ने बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़े विभिन्न मामलों की तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर उच्च स्तरीय जांच शुरू करा दी है. इससे बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों में खलबली मची हुई है. इन सभी मामलों को लेकर बीएसए चंदना राम इकबाल यादव निशाने पर हैं.
इनका पर्दाफाश किया था कि बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी किस तरह स्कूली बच्चों को मिलने वाली सुविधाओं पर न केवल कुंडली मारकर बैठ गए हैं, बल्कि उनमें जमकर घपलेबाजी भी की है. करीब तीन हजार परिषदीय स्कूलों के तीन लाख बच्चों में से 30 फीसदी को ही स्वेटर बंटे लेकिन बीएसए ने सभी प्रधानाध्यापकों से सौ फीसदी स्वेटर बांटने की रसीद ले ली है.
मार्च में स्वेटर खरीद की 50 प्रतिशत की दूसरी किस्त 3.13 करोड़ का आनन-फानन में भुगतान भी करा दिया गया. इसके अलावा फर्नीचर खरीद में भी बेसिक शिक्षा विभाग ने घोटाले की पूरी फील्ड तैयार कर ली है.
सरकार ने 140 सरकारी जूनियर हाईस्कूल के बच्चों के लिए फर्नीचर खरीद के लिए 2.15 करोड़ का बजट मंजूर किया सीडीओ सत्येंद्र कुमार ने फर्नीचर खरीद में घोटाला रोकने के लिए बीएसए चंदना राम इकबाल यादव को आदेश दिया था कि फर्नीचर की खरीद जिला स्तरीय टीम करेगी.
इसके बावजूद बीएसए ने सभी चयनित स्कूलों की विद्यालय प्रबंध समितियों के खातों में फर्नीचर खरीद की पूरी रकम ट्रांसफर कर दी. बेसिक शिक्षा विभाग की गड़बड़ी और घोटालों की कड़ी में 18 कस्तूरबा बालिका आवासीय विद्यालयों में प्रत्येक में सौ की जगह केवल 50 बिस्तर खरीदे गए.
इसी तरह इन स्कूलों में पढ़ने वाली बालिकाओं के राशन और उनकी दिनचर्या में इस्तेमाल होने वाले च्वनप्राश, शैंपू सहित अन्य खरीद में गोलमाल हुआ. इसके अलावा अन्य गड़बड़ी भी सामने आई है. इन सभी मामलों की फाइल खुलने से बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी पसीना छोड़ रहे हैं.
गले नहीं उतर रही थी सीडीओ की जांच रिपोर्ट
स्वेटर खरीद में घोटाला सामने आने के बाद सीडीओ सत्येंद्र कुमार ने मार्च में ही 50 अधिकारियों को लगाकर इसकी जांच कराई थी. जांच के नाम पर लीपापोती हो गई और यह रिपोर्ट दे दी गई कि स्वेटर वितरण को लेकर किसी जगह गड़बड़ी नहीं मिली है. जनवरी में आधा बजट मिलने के बावजूद सभी तीन लाख बच्चों को स्वेटर मिलने की जांच रिपोर्ट किसी के गले नहीं उतरी.
अब इस मामले की उच्च स्तरीय जांच शुरू होने से अफरा-तफरी मच गई है. कमिश्नर ने संयुक्त विकास आयुक्त की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय टीम बनाई है. इसे हफ्ते भर में जांच पूरी करके देना है.
बेसिक शिक्षा विभाग से जड़े कई मामलों की जांच शुरू करा दी गई है. यह तफ्तीश पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शिता से पूरी कराई जाएगी. इसमें जो भी दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा. – डॉ. पीवी जगनमोहन