निर्धारित समय से पहले शहामतगंज फ्लाईओवर बन कर लगभग तैयार है. हालांकि इस पर अभी व्यूकटर नहीं लगाए जा सके हैं. ऐसे में फ्लाईओवर की रेलिंग पार कर बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक का आना जाना जारी है.
जो यातायात शुरू होने पर खतरनाक साबित हो सकता है. निर्माण एजेंसी ने इसके तैयार होने का पत्र ही नगर निगम या जिला प्रशासन को सौंपा है. ऐसे में अधूरी तैयारियों के चलते यहां से यातायात की अनुमति देना खतरनाक साबित हो सकता है.
व्यूकटर तो दूर रेलिंग भी काफी छोटी
भले ही आम लोग और विपक्षी नेता इसे न माने लेकिन फ्लाईओवर पर बिना व्यूकटर यातायात शुरू करना हादसों को जन्म दे सकता है. पुल पर व्यूकटर तो हैं ही नहीं. इसकी छोटी रेलिंग के चलते घरों से यहां पर बच्चों, युवकों और बुजुर्गो का आना आम है.
ऐसे में यातायात खोलने पर तेज गति से निकलने वाले वाहनों को मुश्किल आ सकती है. फ्लाईओवर को खोलने के पक्ष में लोग भले ही यह तर्क दें कि यातायात चलने पर यह सब बंद हो जाएगा. लेकिन कोई भी सौ फीसद इसकी गारंटी नहीं ले सकता.
इसी वजह से जिला प्रशासन और वित्तमंत्री राजेश अग्रवाल लगातार व्यूकटर के बिना इसे यातायात के लिए खोलने के पक्षधर नहीं हैं.
बिकने लगे दरगाह के लिए फूल
फ्लाईओवर के ऊपर दरगाह शाहदाना वली के लिए चढ़ाए जाने वाले फूलों की टोकरी लिए एक बुजुर्गवार को देखा. बाकायदा फूलों को सजाए उन्होंने दरगाह की दीवार पर भी फूलों को बांध रखा था.
पूछने पर बोले, यहीं रेलिंग पार कर के आया हूं. वरना पैदल यहां तक कौन आएगा. वहीं पास में क्रिकेट खेलते बच्चे भी दिखाई दिए. बोले जब यहां पर ट्रैफिक चालू होगा तब कहां मौका मिलेगा क्रिकेट खेलने का. हां तब तक तो खेल होगा ही.
पास ही एक घर के बरामदे में एक सज्जन ब्रश करते हुए भी दिखे. मीडियावालों को देख कर रेलिंग कूद कर पुल पर आ गए और वहीं पर ब्रश करने लगे.
पुल के नीचे भी अधूरी तैयारियां
ऊपर की तरह ही फ्लाईओवर के नीचे भी निर्माण एजेंसी की ओर से तैयारियां अधूरी ही हैं. नीचे न तो अभी तक रोड तैयार है और न ही ठीक से सर्विस लेन ही बना है. जगह जगह वाहनों की पार्किग ही है और अतिक्रमण से लोगों का यहां से निकलना भी दूभर हो गया.
यहां देख कर ऐसा नहीं लगता कि फ्लाईओवर को लेकर कोई तैयारी हो भी रही है. या प्रशासन शहामतगंज के दुकानदारों की परेशानी से वाकिफ भी है. यहां कंप्यूटर सेंटर चलाने वाले जफर बेग कहते हैं कि करीब एक साल से ज्यादा हम लोगों को परेशानी झेलते हुए हो गया.
इस बीच व्यवसाय भी चौपट हुआ लेकिन कोई देखने और सुनने वाला नहीं. सभी लोग फ्लाईओवर के ऊपर से निकलने वालों की सुध ले रहे हैं. नीचे हम जैसे व्यापारियों के बारे में कोई नहीं सोच रहा.