रविवार को नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के खिलाफ आईएमए के डॉक्टर सड़कों पर उतरे और आईएमए से पटेल चौक तक रैली निकाल कर अपना विरोध जताया.
इस अवसर पर आईएमए ने केंद्रीय मंत्री और बरेली के सांसद संतोष गंगवार को ज्ञापन भी दिया. डॉक्टरों का कहना है कि केंद्र सरकार का ये बिल निजी मेडिकल कॉलेज के लिए हैं. अन्य छोटी मोटी डिग्री लेकर कोई भी एमबीबीएस के समकक्ष हो जाएगा.
‘इस कानून से छोटे अस्पताल हो जाएंगे बंद‘
इस अवसर पर आईएमए के अध्यक्ष डॉक्टर प्रमेन्द्र माहेश्वरी ने कहा कि मेडिकल प्रोफेशन और एजुकेशन इस समय बहुत सारी अनियमिताओं से गुजर रहा है. जिसके कारण सरकार द्वारा एमसीआई को रद्द कर नेशनल मेडिकल कमीशन बन रहा है, जो मेडिकल शिक्षा को कार्पोरेट ग्रुप्स के हाथों में सौंपने का प्रयत्न है.
इससे सामान्य छात्रों का डॉक्टर बनने का सपना मुश्किल हो जाएगा. इसी प्रकार इस कानून के बनने से छोटे अस्पताल बन्द हो जाएंगे और जनता को कार्पोरेट अस्पतालों में इलाज कराने को मजबूर होना पड़ेगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भविष्य के डॉक्टरों की लड़ाई वर्तमान के डॉक्टर लड़ रहे हैं.
निजी मेडिकल कॉलेज के लिए है ये बिल
आईएपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉक्टर अतुल अग्रवाल का कहना है कि हम इस बिल को खारिज करते हैं, क्योंकि ये बिल निजी मेडिकल कॉलेज के फेवर में है. ये निजी कॉलेजों में शैक्षिक स्तर अच्छा बनाए रखने की बाध्यता को दूर करेगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ब्रिज कोर्स के माध्यम से डॉक्टरी की अन्य छोटी मोटी डिग्री लेकर कोई भी एमबीबीएस के समकक्ष हो जाएगा.
केंद्रीय मंत्री ने दिया आश्वासन
आईएमए में ज्ञापन लेने पहुंचे केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि मोदी सरकार सभी की भलाई का काम कर रही है. उन लोगों की बात को वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा तक पहुचाएंगे.