इस्लाम से खारिज होने का फतवा जारी होने के बाद तलाक पीड़ित निदा खान ने उलमा पर करारा हमला बोला. उन्होंने कहा कि मौलाना कौन होते हैं, मुङो इस्लाम से खारिज करने वाले. मैं मरते दम तक इस्लाम में रहूंगी.
मेरा जनाजा भी कब्रिस्तान में दफन होगा और मय्यत में मुसलमान भी शामिल होंगे. निदा ने सामाजिक बहिष्कार के फतवे से अपने और परिवार को जान का खतरा जताया है.
उन्होंने मंगलवार को फिर दोहराया कि अगर मुङो या मेरे परिवार को एक खरोच भी आती है तो इसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ फतवा जारी करने वाले मौलाना होंगे. मैं सर्वोच्च न्यायालय जाऊंगी.
सोमवार को दरगाह आला हजरत से निदा को इस्लाम से खारिज करने का फतवा जारी हुआ था. इसमें मुसलमानों से अपील की गई थी कि मरने के बाद उन्हें कब्रिस्तान में दफन भी न करने दिया जाए, न ही लोग उनके जनाजे में जाएं.
निदा के सारे नाते-रिश्तेदार और आम मुसलमान उनसे रिश्ता तोड़ लें. किसी कार्यक्रम में भी न बुलाएं. जब तक कि वह अपने गुनाह की माफी न मांग लें.
मानवाधिकार आयोग को लिखा पत्र : निदा ने मंगलवार को मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखा. इसमें फतवे के जरिये अपने अधिकारों के हनन की बात कहते हुए उलमा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.