स्वच्छता सर्वेक्षण के नंबर बढ़ाने की आपाधापी में नगर निगम ने शहर के सभी वार्ड ओडीएफ घोषित कर दिए जबकि यहां पर अब भी महिलाएं मैला ढो रही हैं. अब एक अन्य बुजुर्ग महिला सामने आई है, जो शहर के ही 14 घरों की गंदगी साफ कर रही है.
हजियापुर क्षेत्र में रहने वाली 60 वर्षीय महिला के पति बीमार हैं. दो बेटियों की शादी हो चुकी है और बेटा अभी नौकरी के काबिल नहीं है. इसके चलते महिला अब भी मैला ढोने का काम कर रही है.
वह प्रतिदिन काजीटोला के पांच और इनायतगंज बजरिया के नौ घरों में मैला उठाने जाती है. बुजुर्ग महिला के आसपास रहने वाले लोगों ने भी इसकी पुष्टि की है. महिला का कहना है कि यह उसका पुश्तैनी काम है, पति भी पहले यही करते थे.
आजीविका का और कोई साधन भी नहीं है. हर घर से महीने में उसे 150 रुपये मिल जाते हैं, जिससे उसका परिवार चल रहा है. उम्र बढ़ने के चलते अब बोझ उठाने में उसे परेशानी होती है लेकिन परिवार पालने लिए मैला उठाना उसकी मजबूरी बन गई है.
काम छोड़ने वाली महिलाओं को मदद नहीं
इससे पहले सैदपुर हाकिंस और बाकरगंज की दो महिलाएं भी सामने आई थीं, जो मैला उठाने का काम कर रही थीं. सामाजिक संस्थाओं की पहल पर इन महिलाओं ने काम छोड़ दिया और वे शौचालय भी तुड़वा दिए, जहां ये महिलाएं काम करती थीं.
मगर अब तक नगर निगम या जिला प्रशासन की ओर से इन्हें कोई मदद नहीं मिल सकी है. बता दें कि मैला प्रथा से मुक्ति के लिए सरकार ने 40 हजार रुपये की सहयोग राशि और परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी देने की योजना चला रखी है.