सनातन निष्ठा संस्था की तरफ से त्रिवटीनाथ मंदिर प्रांगण में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में मंगलवार को रुक्मणी विवाहोत्सव धूमधाम से मनाया गया. भक्तों ने मंगलगीत गाए और भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का बखान किया.
श्रीमद्भागवत कथा में लोगों ने प्रभु और भक्त के पावन रिश्ते को जाना. बुधवार को कथा में सुदामा चरित्र, नंदयोगेश्वर संवाद, परीक्षित मोक्ष और पुष्प होली का आयोजन होगा.
त्रिवटीनाथ मंदिर प्रांगण में श्रीमद्भागवत कथा सुनाते हुए गौरव कृष्ण महाराज ने कहा कि श्रीकृष्ण भक्त के हृदय के भक्तिभाव पर रीझते हैं. उनको चढ़ावे में कुछ नहीं चाहिए, वह तो भक्तों की श्रद्धा से बंधे चले आते हैं.
जब भी भक्त मुसीबत में होता है, सच्चे मन से श्रीकृष्ण का स्मरण करने से कष्ट दूर हो जाते हैं. द्रौपदी ने चीरहरण के समय कन्हैया को याद किया और श्रीकृष्ण ने उनका चीर अनंत कर दिया.
भगवान की भक्ति के लिए किसी दिखावे की जरूरत नहीं है. घर सजाकर, चढ़ावे में मिठाई, फल, मेवा रखने से भगवान का साक्षात्कार नहीं होता. इसके लिए मन का निर्मल होना जरूरी है.
कथा के दौरान रुक्मणी विवाहोत्सव का आयोजन किया गया. भक्तों ने रुक्मणी-श्रीकृष्ण की झांकी सजाई और मंगलगीत गाए. विवाह गीतों पर भक्त जमकर नाचे. उसके बाद लोगों को प्रसाद वितरित किया गया.