कभी उग्रवादियों के छक्के छुड़ाने वाले सीआरपीएफ के पूर्व लांस नायक राम स्वरूप (70) अपने बच्चों के गुस्से से घबराते हैं. अनहोनी का डर ऐसा कि राम स्वरूप ने अपनी लाइसेंसी बंदूक को सरेंडर करने का फैसला किया है. उन्होंने डीएम को प्रार्थना पत्र देकर लाइसेंस वापस लेने की गुहार लगाई है. डीएम ने लाइसेंस सरेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी.
राम स्वरूप ने 1969 में सीआरपीएफ ज्वाइन की थी.1999 के चुनाव में राम स्वरूप की तैनाती उग्रवाद प्रभावित त्रिपुरा में की गई. चुनाव ड्यूटी के दौरान राम स्वरूप पर उग्रवादियों ने हमला कर दिया. राम स्वरूप ने डटकर मुकाबला किया और कई उग्रवादियों को ढेर कर दिया, मगर वह खुद को उग्रवादियों की गोलियों से बचा नहीं पाए.
राम स्वरूप की टांग में आठ गोलियां लगीं. जिंदगी तो बच गई, मगर डॉक्टरों को उनकी टांग काटनी पड़ी. ऑपरेशन के बाद भी 2003 तक राम स्वरूप सीआरपीएफ में जिम्मेदारी निभाते रहे. राम स्वरूप ने गंगटोक में तैनाती के दौरान बंदूक का लाइसेंस बनवाया था.
मूल रूप से फरीदपुर के गांव पेरुआ के रहने वाले राम स्वरूप ने रिटायरमेंट के बाद बरेली की सैनिक कॉलोनी में घर बना लिया. राम स्वरूप के छह बच्चे हैं. इनमें चार बेटे हैं. बेटों के गुस्से से पूर्व लांस नायक डरते हैं. उन्हें बदूंक के गलत इस्तेमाल का डर सता रहा है.
आंखों की रोशनी और शरीर कमजोर हुआ तो राम स्वरूप ने बंदूक प्रशासन को लौटाने का फैसला कर दिया. गुरुवार को उन्होंने बंदूक सरेंडर करने का आवेदन डीएम को दे दिया.