जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में शुक्रवार की सुबह आक्सीजन लीकेज से भगदड़ मच गई. वहां भर्ती बच्ची के बेड पर लगा आक्सीजन फ्लो मशीन में अचानक लीक होने लगा और पूरे वार्ड में आक्सीजन फैलने लगी. यह देख वहां भर्ती बच्चों को लेकर घरवाले चीखते-चिल्लाते बाहर भाग निकले. नर्सिंग स्टाफ इंचार्ज ने लीकेज वाली जगह हाथ से ढक दी और सभी को वार्ड से बाहर निकालने के बाद आक्सीजन सप्लाई बंद की.
शुरूआती जांच में माना जा रहा है कि आक्सीजन फ्लो मशीन की वाल कटने या प्रेशर अधिक होने की वजह से लीकेज हुआ. अगर वार्ड पैक होता तो बड़ा हादसा होने से इंकार नहीं किया जा सकता. अस्पताल के बच्चा वार्ड में आक्सीजन सप्लाई के लिए सभी बेड तक पाइप लाइन बिछाई गई है. बेड पर आक्सीजन फ्लो मशीन लगा है और उसकी मदद से मरीजों को आक्सीजन दी जाती है.
यहां शुक्रवार को 32 बच्चों का इलाज चल रहा था. बेड नंबर 13 पर सूफीटोला निवासी नईम खां की बेटी अनमता भर्ती है, जिसका चार दिन से इलाज चल रहा है. शुक्रवार की सुबह डाक्टर ने अनमता को देखा और फिर नर्सिंग स्टाफ इंचार्ज सिस्टर डेजी अनमता का ब्लड सैंपल ले रही थीं.
इसी बीच अचानक फ्लो मशीन से आक्सीजन लीक होने लगा जो पलक झपकते ही वार्ड में फैल गया. वहां भर्ती मरीज और तीमारदार घबरा गए और चीखने लगे. सिस्टर डेजी ने तत्काल लीक हो रहे आक्सीजन को हाथ से ढककर रोक दिया. वहां भर्ती सभी बच्चों को बाहर ले जाने को कहा. तीमारदार बच्चों को लेकर बाहर भाग निकले और वार्ड खाली हो गया.
तब तक स्टाफ के लोग जुट गए और आक्सीजन सप्लाई बंद की गई. कुछ देर बाद बच्चों को फिर से उनके बेड पर लाया गया. वार्ड में आक्सीजन लीकेज का पता चलते ही अफरातफरी मच गई. लोग घबरा गए. गनीमत रही कि सिस्टर डेजी ने सूझबूझ से काम लिया और फ्लो मशीन पर हाथ रखकर आक्सीजन का लीकेज होना रोक दिया. फिर उन्होंने वहां भर्ती 32 बच्चों को बाहर निकाला. बच्चों को निकालने के बाद स्टाफ से सप्लाई बंद कराई.
बच्चा वार्ड में आक्सीजन किट से लीकेज के दौरान अपने बच्चों को लेकर कमरे से बाहर भागीं थी महेशपुरा की तनु और तनूजा (10) बच्चों की मां रानी व बुआ लक्ष्मी. आक्सीजन लीकेज के बाद वहां हड़कंप मच गया. लोग दहशत में आ गए और बच्चों को लेकर वहां से भाग निकले.
गोरखपुर के जिला अस्पताल में हुई हृदयविदारक घटना उनके जेहन में कौंध उठी और लोग सिहर उठे. कोई ग्लूकोज की बोतल लेकर भागा तो कोई मरहम-पट्टी समेत बच्चों को लेकर भागा. करीब 15 मिनट वहां अफरातफरी मची रही.
घटना के बाद वार्ड पहुंचे सीएमएस डा. केएस गुप्ता ने किसी प्रकार के खतरे से इंकार किया. उन्होंने बताया कि आक्सीजन लीकेज में कोई बड़ा खतरा नहीं था. इससे आग लगती नहीं है. वार्ड में खिड़की-दरवाजे भी खुले थे तो आक्सीजन तुरंत से बाहर निकल गई. वार्ड में आग लगने जैसी आपात स्थिति से निपटने के लिए 5 अग्निशमन यंत्र भी हैं.
जिला अस्पताल में आक्सीजन का प्लांट तो है लेकिन प्रशिक्षित स्टाफ नहीं है. यहां आक्सीजन प्लांट चलाने के लिए ट्रेंड टेक्निशियन नहीं हैं बल्कि वार्ड ब्वाय से ही इसका काम लिया जाता है. ट्रेंड स्टाफ को पता होता है कि किस प्रेशर से आक्सीजन की सप्लाई की जानी है.
बच्चा वार्ड में एक मशीन में खराबी होने से आक्सीजन लीक हुआ था लेकिन तुरंत ही इसे सही करा लिया गया. कोई अप्रिय घटना नहीं हुई और स्टाफ की सूझबूझ से सभी बच्चे सकुशल हैं. वैसे भी आक्सीजन से न तो आग लगती है और न ही कोई दूसरा बड़ा खतरा होता है. डा. केएस गुप्ता, सीएमएएस