कुतुबखाना पर ओवरब्रिज का मुद्दा वक्ती तौर पर महज इसलिए मौजू है क्योंकि शहर का हर शख्स वहां जाम से जूझ रहा. शहर के सबसे पुराने इस बाजार की ओर जाने से पहले जाम की झिकझिक दिमाग में कौंध जाती है. निजात के लिए पहले भी कई बार ट्रैफिक प्लान बने मगर कारगार साबित नहीं हो सके.
इसके पीछे भी तमाम वजहें रही. एसपी ट्रैफिक का कहना है कि ताली एक हाथ से नहीं बज सकती. ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारना है तो यहां के व्यापारियों और जनता को सहयोग करना होगा.ट्रैफिक को लेकर कोई भी रणनीति तभी सफल हो सकती है जब जनता साथ दे.
चौराहे से खदेड़े जाएंगे रिक्शे वाले
एसपी ट्रैफिक सुभाष चन्द्र गंगवार कुतुबखाना के हाल देख चुके हैं. चौराहा पर एक तरफ रिक्शे वाले खड़े हो जाते हैं जिसके बाद बमुश्किल आठ-दस फीट का रास्ता बचता है. चौराहा पर जाम की बड़ी वजह रिक्शे वालों का इस तरह खड़ा होना भी है. एसपी ट्रैफिक ने बताया कि जल्द ही उस चौराहे पर ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाकर रिक्शे वालों को वहां से खदेड़ा जाएगा.
वन-वे का हो सख्ती से पालन
वन-वे व्यवस्था लागू है मगर इसका पालन नहीं होता. कोहाड़ापीर की ओर से आने वाले वाले कुतुबखाना चौराहा से मोड़कर मेवा वाली गली से जिला अस्पताल रोड पर निकलते हैं. जबकि घंटाघर की ओर से आने वाले लोगों के लिए चौराहा का सीधा रास्ता तय है. मगर वन-वे का पालन नहीं होने पर दो पहिया वाहन तक जाम में फंस जाते हैं. सब्जी मंडी वाले रास्ते पर वन-वे का पालन नहीं होता. वहां होमगार्ड भी लगाया गया बावजूद इसके लोग नहीं मान रहे हैं. इधर से लोग आगे जाते हैं. जिससे मनिहारन गली वाले चौराहे पर जाम लग जाता है.