बरेली जंक्शन पर एस्कलेटर और लिफ्ट लगाकर आधुनिक सुविधाएं देने की कोशिश चल रही है. अनलिमिटेड वाई-फाई की सुविधा इसकी ग्रेड बढ़ाने का काम कर रहा है. वहीं, जंक्शन का एक चेहरा बदतर भी है.
जंक्शन के प्लेटफार्म पर लगे कोच पोजीशन सिस्टम साल भर से काम नहीं कर रहे हैं. इससे सीट रिजर्व होने के बावजूद यात्रियों को अपना कोच खोजने में परेशानी होती है. इसकी जानकारी सीआइटी रूम से भी न मिल पाने के कारण कई बार तो यात्रियों की ट्रेन छूट भी जाती है.
इसलिये है जरूरी
हर प्लेटफार्म पर करीब 24-24 कोच पोजीशन सिस्टम हैं. हर सिस्टम पर ट्रेन और कोच नंबर की जगह होती है. ट्रेन आने से पहले सिस्टम पर ट्रेन व कोच नंबर डिस्प्ले हो जाता है.
ऐसे में ट्रेन आने से पहले यात्रियों को अपने कोच की स्थिति साफ हो जाती है. सिस्टम खराब होने से ट्रेन आने के बाद बार-बार पूछताछ या भागदौड़ कर कोच खोजना पड़ता है.
ज्यादातर ट्रेन रुकती तीन से पांच मिनट
जंक्शन से करीब 206 ट्रेनों पर सवारियां बैठती हैं. इनमें से 186 ट्रेन रोजाना और 20 ट्रेन स्पेशल यानी साप्ताहिक हैं. 14 ट्रेन जंक्शन से ही बनकर चलती हैं.
अस्सी फीसद से ज्यादा ट्रेन जंक्शन पर तीन से पांच मिनट ही रुकती हैं. सिस्टम फेल होने पर करीब आधा किलोमीटर लंबी ट्रेन में कोच खोजकर बैठना मुश्किल होता है.
खराब कोच पोजीशन सिस्टम की सीबीआइ जांच
जिस कंपनी ने कोच पोजीशन सिस्टम मामले की जांच सीबीआइ कर रही है. जांच होने तक कंपनी ने किसी तरह के दुरुस्तीकरण संबंधी काम से इन्कार कर दिया है. ऐसे में जंक्शन पर यात्रियों की परेशानी बरकरार है.
वर्जन
मामले की जांच सीबीआइ कर रही है. इस वजह से खराब कोच पोजीशन सिस्टम को नहीं बदला जा सकता है. यात्रियों को फिलहाल सीआइटी रूम से ही जानकारी लेनी होगी.
– शरद श्रीवास्तव, एडीआरएम, मुरादाबाद मंडल