सावन के महीने में भगवान शिव के भक्त उनकी भक्ति में डूबे जाते और उन्हें हर तरह से प्रसन्न करने की कोशिश करते है. सावन माह में बरेली का नजारा कुछ अलग ही होता है. बरेली शहर की हर दिशा में शिव जी का मंदिर है.
कहा जाता है कि हर दिशा में मौजूद ये शिव मंदिर प्राकृतिक आपदाओं और अन्य विपत्तियों से शहर की रक्षा करते हैं. नगर की सभी दिशाओं में शिव मंदिर होने की वजह से ही बरेली को नाथ नगरी भी कहा जाता है.
बरेली के दस नाथ मंदिर में एक प्राचीन मंदिर है श्री बनखंडी नाथ जी का. यह मंदिर पुराने शहर के जोगीनवादा में है. बनखंडी नाथ मंदिर का संबंध द्वापर युग से है. इस मंदिर में कई साधु संतों ने कठोर तपस्या करके साथ यहां समाधि भी ली.
जिसका प्रमाण यहां साधू-संतों की बनी समाधियों से मिलता है. मंदिर परिसर में कई प्राचीन गौशाला भी बनी हुई है. किद्वंती है कि राजा द्रुपद की पुत्री द्रोपदी ने अपने राजगुरु द्वारा शिवलिंग की विधिवत पूजा अर्चना कर प्राण प्रतिष्ठा कराई थी.
कहा यह भी जाता है उस समय यहां से गंगा होकर गुजरती थी, लेकिन आज मन्दिर परिसर में एक सूखा तालाब ही शेष है. कुछ लोगों के अनुसार मुस्लिम शासकों ने बनखंडी नाथ मंदिर को नष्ट करने की कई कोशिश की लेकिन बाबा भोले की शक्ति के चलते मंदिर की एक ईंट हटा नहीं सके.
मुगल शासक औरंगजेब ने भी शिव मंदिर को तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी सभी कोशिश बेकार साबित हुई. कहा जाता है कि मुस्लिम शासकों द्वारा वन में स्थित इस मंदिर को खंडित करने की कोशिश के कारण ही मंदिर का नाम बनखंडी नाथ पड़ा.
मंदिर का संचालन दशनाम जूना अखाड़ा करता है. सावन माह में इस मंदिर का नजारा ही कुछ अलग ही होता है. मंदिर में बाबा भोले के दर्शन के लिए भक्तों की लम्बी-लम्बी कतारें दिखाई देती है साथ ही कांवड़ियें भी गंगा नदी से जल लाकर जलाभिषेक करते है.