आजादी के 70 साल बाद भी देश से बाल भिक्षावृत्ति की प्रथा समाप्त नहीं हो पाई है. जगह जगह पर सड़कों पर बच्चे भीख मांगते नजर आते हैं जो आजाद भारत के लिए एक अभिशाप से कम नहीं है. भिक्षावृत्ति को समाप्त करने के लिए सरकार तमाम कोशिश कर रही है, लेकिन ये प्रथा समाप्त नहीं हो पा रही है.
ऐसे में बाल भिक्षावृत्ति को समाप्त करने के लिए बरेली की समाजसेवी संस्था इमेज सेवा संस्थान के प्रयास रंग लाने लगे हैं. संस्था के प्रयास से सड़कों पर भीख मांगने वाले 52 बच्चे पढाई कर रहे हैं. और भीख मांगने वाले ये बच्चे अब हिंदी के साथ साथ अंग्रेजी भी बोलने लगे हैं.
पूरा खर्च उठा रही संस्था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातों से प्रेरित होकर बरेली के रहने वाले युवा अवधेश गोला ने एक नई पहल की है. अपनी संस्था इमेज सेवा संस्थान के जरिए अवधेश गोला भीख मांगने वाले 52 गरीब बच्चों को मुख्यधारा से जोड़कर उन्हें पढ़ना लिखना सिखा रहे हैं. यह बच्चे इससे पहले सड़कों पर भीख मांगकर अपना काम चला रहे थे.
लेकिन इमेज सेवा संस्थान ने इन बच्चों को न सिर्फ भीख मांगना छुड़वाया बल्कि उन्हें पढ़ने लिखने के लिये किताबे, पेंसिल, कपड़े, खाना सहित जरूरी सुविधायें प्रदान करा रहे हैं. इन बच्चों को पढ़ाने के लिये एक टीचर को भी लगाया गया है और बच्चे भी मन लगाकर पढ़ाई कर रहे हैं.
अंग्रेजी बोलते हैं बच्चे
संस्था के प्रयास से अब इन बच्चों ने भीख मांगना छोड़ दिया है और पढ़ाई कर कोई डॉक्टर, तो कोई टीचर बनना चाहता है. इमेज सेवा संस्थान के जरिये ऐसे उन बच्चों का चिन्हिकरण किया जा रहा है जो सड़कों पर भीख मांगते है. संस्था के फाउंडर अवधेश गोला के प्रयास से इन गरीब बच्चों के परिवार को रोजगार उपलब्ध कराने का भी काम किया जा रहा है.
अवधेश गोला का कहना है कि वे प्रधानमंत्री को आदर्श मानते हैं. वे देश के लिये बहुत काम कर रहे हैं, उनकी इसी जिम्मेदारी में इमेज सेवा संस्थान भी अपना सहयोग दे रहा है. उनकी संस्था भिक्षावृत्ति को खत्म करने की पहल कर रही है. वहीं संस्था से जुड़े लोग भी इस मुहिम का आगे बढ़ा रहे हैं.