बरेली का टेक्सटाइल पार्क सियासी अखाड़ा बनता जा रहा है. चार साल में टेक्सटाइल पार्क जस का तस है. अभी टेक्सटाइल पार्क का लैंडयूज तक चेंज नहीं हो सका है. जबकि कई बार मुख्य सचिव के सामने प्रजेंटेशन हो चुका है. टेक्सटाइल पार्क तक 12 मीटर चौड़ी सड़क नहीं बन सकी.
बिजली घर बनने का इंतजार लंबा होता जा रहा है. भाजपा में टेक्सटाइल पार्क को लेकर घमासान है. नेताओं में टेक्सटाइल पार्क को लेकर एक राय नहीं बन पाई है. बगैर लैंडयूज परिवर्तन हुए टेक्सटाइल पार्क में कंपनियां काम शुरू नहीं का सकतीं. .
इन्वेस्टर्स समिट के बाद टेक्सटाइल पार्क को विकसित करने की कवायद तेज हुई थी. योगी सरकार ने बरेली का नोडल अधिकारी हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग निदेशक रमारमण को बनाया था.
फरवरी में रमारमण ने टेक्सटाइल पार्क का जायजा लिया था. बीडीए को लैंडयूज परिवर्तन के लिए जरूरी कार्रवाई करने को कहा था. तत्कालीन मुख्य सचिव ने प्रशासन और एसवीपी के पदाधिकारियों के साथ मीटिंग की.
टेक्सटाइल पार्क को विकसित करने की योजना तैयार कर डाली. टेक्सटाइल पार्क तक 12 मीटर चौड़ी सड़क बनाने की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी को दी. बिजली घर के निर्माण की योजना तैयार की. मगर चार महीने के बीत जाने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं है.
एसवीपी की 39 एकड़ जमीन में अभी किसी तरह का निर्माण शुरू नहीं हो सका. टेक्सटाइल पार्क को लेकर भाजपा में राजनीति भी हो रही है. टेक्सटाइल पार्क की पैरवी केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार कर रहे हैं.
संतोष के गोद लिए रहपुरा जागीर गांव में टेक्सटाइल पार्क विकसित किया जा रहा है. मगर भाजपा के कुछ कद्दवर नेता टेक्सटाइल पार्क को अधिक महत्व नहीं दे रहे. जिसकी वजह से सरकार ने परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.