अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सभी राजनैतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी है. अपने मजबूत गढ़ बरेली को बचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेता जुट गए है. बरेली लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी सात पार कब्जा कर चुकी है. समाजवादी पार्टी इस सीट पर अभी तक एक बार भी जीत दर्ज नहीं कर पाई है.
इस बार यादव खानदान के ही शिवपाल यादव की पार्टी के चुनाव मैदान में आने पर सपा की राह और मुश्किल हो सकती है. शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) से नवाबगंज नगर पालिका की अध्यक्ष शहला ताहिर या उनकी बेटी समन ताहिर का चुनाव मैदान में उतरना तय माना जा रहा है. ऐसे में अखिलेश यादव पार्टी को आने वाले लोकसभा चुनाव में दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ेगा.
सपा का संगठन है भंग
शिवपाल यादव की नई पार्टी बनने के बाद जिले की समाजवादी पार्टी में भगदड़ मच गई थी और सपा के दिग्गज नेता पूर्व सांसद और लंबे समय तक जिलाध्यक्ष रहे वीरपाल सिंह यादव सपा छोड़ कर शिवपाल यादव की पार्टी में शामिल हो गए. वीरपाल यादव के जाने के बाद सपा के तमाम नेता भी शिवपाल के साथ चले गए. समाजवादी पार्टी में हुई हलचल के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर जिला और महानगर संगठन को भंग कर दिया गया है.
शहला भी शिवपाल यादव की पार्टी में
नवाबगंज की राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाली शहला ताहिर भी बसपा छोड़ कर शिवपाल यादव की पार्टी में शामिल हो चुकी है.शहला ताहिर लम्बे समय तक समाजवादी पार्टी में रहीं है और 2017 के विधानसभा चुनाव में शिवपाल यादव ने उसको नवाबगंज सीट से सपा का प्रत्याशी बनाया था लेकिन अखिलेश यादव ने उनका टिकट काट दिया था.
टिकट कटने से नाराज शहला ताहिर सपा छोड़ आईएमसी में शामिल हुई और विधानसभा का चुनाव लड़ा और 36 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए. नगर निकाय चुनाव के पहले वो बसपा में आई और एक बार फिर नवाबगंज नगर पालिका की अध्यक्ष चुनी गई. शहला ताहिर इससे पहले भी नवाबगंज नगर पालिका की अध्यक्ष रह चुकी है. आने वाले लोकसभा चुनाव में वो या तो खुद या अपनी बेटी को चुनाव मैदान में उतारेंगी. क्योकि शहला ताहिर अध्यक्ष है इस लिए वो अपनी बेटी को ही चुनाव मैदान में उतारेंगी.
दोहरी चुनौती का सामना करेगी सपा
सपा को बरेली लोकसभा सीट पर अपना खाता खोलने के लिए दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ेगा. एक तो उन्हें भाजपा के मजबूत गढ़ में भारतीय जनता पार्टी का सामना करना पड़ेगा दूसरा उन्हें शिवपाल यादव की पार्टी से भी पार पाना होगा. फिलहाल समाजवादी पार्टी भाजपा के मजबूत किले में सेंध लगाने के लिए नए सिरे से संगठन का विस्तार करने जा रही है. जल्द ही सपा अपनी जिला और महानगर की नई इकाई की घोषणा करेगी.