जुलूस-ए-मोहम्मदी के दौरान डीजे के इस्तेमाल को दरगाह आला हजरत के मरकजी दारुल इफ्ता की ओर से जारी एक फतवे में हराम करार दिया गया है। डीजे के अलावा जुलूसों में युवाओं के बाइक पर स्टंटबाजी को भी गुनाह बताया गया है। फतवे में कहा गया है कशीरीनी यानी मिठाई को भी लुटाने के बजाय इस तरह बांटा जाए कि बेअदबी न हो। यह फतवा शाहबाद के मोहम्मद गुलफाम अंसारी के सवाल पर जारी किया गया है। मोहम्मद गुलफाम ने दारुल इफ्ता में सवाल दाखिल कर पूछा था कि जुलूस-ए-मोहम्मदी के दौरान उछलकूद का माहौल दिखाई देता है। अंजुमनों में शामिल लोग तेज आवाज वाले डीजे साथ लेकर चलते हैं और डीजे पर ही नात कव्वाली बजाते हैं। डीजे की धुनों पर उछलकूद की जाती है। इसके अलावा तमाम नौजवान बाइकों पर स्टंट करते दिखाई देते हैं।
कुछ लोग जुलूस मोहम्मदी में छतों से शीरीनी (मिठाई) लुटाते हैं। मोहम्मद गुलफाम अंसारी ने यह साफ करने को कहा था कि शरई तौर पर जुलूस-ए-मोहम्मदी में हरकतें जायज हैं या नाजायज।
मरकजी दारुल इफ्ता के मुफ्ती मोहम्मद कौसर अली रिजवी की ओर से मोहम्मद गुलफाम के सवाल पर जारी फतवे में कहा गया है कि रसूलल्लाह सल्लाहो अलैह वसल्लम की यौमे पैदाइश को हर साल खुशी और शादमानी से मनाने का हुक्म है, लिहाजा जुलूस-ए-मोहम्मदी निकालना तो जायज है, लेकिन इसमें अदब कायम रखना जरूरी है और ऐसे हर काम से एतराज होना चाहिए जो इस्लाम के खिलाफ हो।
इस लिहाज से जुलूस में डीजे पर साज की धुनों पर कव्वाली बजाना हराम है। नाते रसूल में भी साज की तरह आवाज निकालना नाजायज और गुनाह है। इसी तरह शीरीनी भी छतों से लुटाने के बजाय इस तरह तकसीम की जानी चाहिए कि बेअदबी न हो और वह सड़कों पर न गिरे।