पूर्वोत्तर रेलवे और उत्तर रेलवे के लिए महत्वपूर्ण बरेली को इस बार रेल बजट से बड़ी उम्मीदें बंधी हुई हैं.
दुनिया में पतंग, सुर्मा और बांस उद्योग के कारोबार से पहचान बनाने वाली बरेली को मुंबई, चेन्नई, कोटा, हैदराबाद, शिमला, जोधपुर, बंगलुरू सहित देश के तमाम शहरों से जोड़ने के लिए सीधे बजट मिलने की उम्मीद है.
यही नहीं, बरेली के यांत्रिक कारखाना में सेंट्रल कपलर कोच बनाने के लिए अच्छा बजट मिलने की उम्मीद भी परवान चढ़ रही है.
दक्षिण भारत के लिए ट्रेनों के संचालन के लिए न सिर्फ बरेली बल्कि इज्जतनगर मंडल क्षेत्र में आने वाले सभी सांसदों ने एक सुर में मांग की थी, जिसका मांगपत्र भी भेजा जा चुका है.
इस बार रेल बजट से रुहेलखंड के लोगों को उम्मीद है कि रेल बजट की ट्रेन रुहेलखंड से इस बार नॉन स्टॉप नहीं गुजरेगी.
केंद्र सरकार से इस रेल बजट में रुहेलखंड का विशेष ख्याल रखने की उम्मीद है, क्योंकि अब प्रदेश में भाजपा की सरकार आ गई.
इज्जतनगर यांत्रिक कारखाना और डीजल शेड ने अपने नाम तमाम उपलब्धियां हासिल करके देश में बरेली का नाम रोशन किया. लेकिन, नजरें इनायत न होने से यह भी दम तोड़ने की कगार पर हैं.
बीते रेल बजट से रुहेलखंड को काफी उम्मीदें थी. मगर केंद्र की अनदेखी से यहां सिर्फ मायूसी ही हाथ लगी.
अब केंद्र की भाजपा सरकार के इस कार्यकाल के संभवत: अंतिम रेल बजट 2018-19 से रुहेलखंड को फिर काफी उम्मीद है.
इसकी वजह रुहेलखंड ने 11 में से 10 सीटें सिर्फ भाजपा की झोली में आना है और अगले साल लोकसभा के चुनाव संभावित हैं.
डेमू मेंटीनेंस वर्कशॉप: इज्जतनगर रेल मंडल ने सीबीगंज की रेल स्लीपर फैक्ट्री बंद होने के बाद खाली भूमि में डीजल-इलेक्ट्रिक मल्टीपल (डेमू) मेंटीनेंस वर्कशॉप का प्रस्ताव भेजा था.
रेलवे ने 37.50 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को हरी झंडी देने के साथ ही पांच लाख रुपये डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने को दे दिए, जो लगभग तैयार हो चुकीं है.
लेकिन बाकी बजट मिलने की उम्मीद में यह प्रोजेक्ट साल भर से अटका है. मगर इस बार रेल बजट में डेमू मेंटीनेंस वर्कशॉप को धन मिलना तय माना जा रहा है.
सर्वे पूरा, इलेक्ट्रिक का इंतजार
बरेली वाया चंदौसी-मुरादाबाद ब्रांच लाइन को भी इलेक्ट्रिक किया जाना है. इससे ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी. मुरादाबाद से वाया चंदौसी-बरेली आने वाली इलेक्ट्रिक ट्रेनों का संचालन नहीं हो पाता.
इसी को लेकर ब्रांच लाइन को भी इलेक्ट्रिक करने का प्रोजेक्ट है. रेलवे निजी कंपनियों से सर्वे करा चुका है. मगर बजट के आभाव में यह प्रोजेक्ट लटका है.
बरेली जंक्शन का विस्तार
बरेली जंक्शन से लगभग दो सौ ट्रेन गुजरती हैं. यात्री संख्या बढ़ने के कारण लगातार ट्रेन बढ़ रही हैं. लेकिन जंक्शन पर मात्र चार प्लेटफार्म है.