मंडी प्रशासन ने अपने कार्यालयों, गोदामों और फल सब्जी मंडी में लगे बिजली कनेक्शनों को कटवा दिया है. अब हर जगह सौर ऊर्जा से बिजली जल रही है. अब न बिल जमा करने का झंझट है और न ही मार्च में बिल जमा नहीं होने पर कनेक्शन कटने का झंझट.
बिजली का बार बार आना जाना. बिजली की आंख मिचौली, तेज हवा चलने पर उपकेन्द्र से सप्लाई बंद हो जाना. पेड़ गिरने से तार बदलने से बिजली सप्लाई बंद रहने के झंझट से मंडी समिति मुक्ति पा चुकी है.
मंडी समिति में उपनिदेशक कार्यालय की छत पर लगे सौर ऊर्जा के पैनलों की लंबी लाइन और उनकी बैटरी पर भले ही किसी का ध्यान न जाता हो लेकिन यही वह सौर ऊर्जा प्लांट है जिससे पूरे मंडी प्रशासन सहित फल व सब्जी मंडी में बिजली सप्लाई हो रही है. यहां मंडी उपनिदेशक प्रशासन, उप निदेशक निर्माण और उप निदेशक विद्युत, सचिव मंडी समिति का कार्यालय है. मंडी का गेस्ट हाउस भी है. सभी जगह पर्याप्त एसी लगे हैं. पंखे और कूलर भी हैं. इसके अलावा ई मंडी भी है यह भी पूरी तरह एसी है. किसानों के लिए साइबर कैफे भी है. इसे भी एसी युक्त किया गया है. बरेली के अलावा शाहजहांपुर की मंडी भी सौर ऊर्जा चलित है.
सौर ऊर्जा प्लांट से यहां 406 किलोवाट बिजली धूप से मिलती है. इसमें गल्ला मंडी का लोड 296 किलोवाट और फलमंडी का लोड 110 किलोवाट का है. मंडी की छत पर लगे प्लांट में दो बोल्ट की 1171 बैटरी लगी हैं. इससे 24 घंटे भरपूर बिजली का उपयोग करें तो भी 135 किलोवाट ही बिजली खर्च होती है. उसके बाद भी बिजली बच जाती है. इसे बैकअप के लिए रखा जाता है. दिक्कत तब आती है जब दो तीन दिनों तक बिलकुल धूप ही नही निकले. तब बैकअप से काम चलाने के लिए केवल लाइट का ही प्रयोग किया जाता है.
उप निदेशक मंडी मूल चंद गंगवार बताते हैं जब प्लांट लग रहा था तब थोड़ा सशय था लेकिन अब नहीं, कोई ट्रिपईंग की समस्या नहीं. हर समय बिजली मिलती है. पांच साल तक कंपनी ही प्लांट की देखरेख करेगी इसलिए कोई चिंता नहीं है.
ऐसा सभी सरकारी कार्यालयों में होना चाहिए, इससे सौर ऊर्जा का चलन अपने आप बढ़ेगा और सरकार को बिजली भी कम खरीदनी पड़ेगी. मंडी प्रदेश का पहला सरकारी महकमा है जहां पूरी तरह सौर ऊर्जा का प्रयोग हो रहा है.