रुहेलखंड विश्वविद्यालय के यूजी और पीजी के प्राइवेट स्टूडेंट्स की सुविधा के लिए शुरू की गई ऑनलाइन फार्म व्यवस्था जी का जंजाल बनती जा रही है.
ऑनलाइन फॉर्म भरने के नाम पर हर साल 40 से 50 हजार स्टूडेंट्स से 150 से लेकर 200 रुपए तक की अवैध वसूली हो रही है.जीएसटी, फॉर्म ऑनलाइन और नेट बैंकिंग के नाम पर स्टूडेंट्स अवैध उगाही का शिकार हो रहे हैं.
पहले स्टूडेंट्स को प्राइवेट फॉर्म कॉलेज से लेकर भरना होता था. बाद में यही फॉर्म स्टूडेंट्स फिल करने के बाद संबंधित महाविद्यालय में जमा करते थे. इस व्यवस्था में कुछ खामियां भी थीं.
कॉलेज और विवि प्रशासन भी इस व्यवस्था को ठीक नहीं मानते थे. समीक्षा के बाद कुछ साल पहले विवि ने परीक्षा फॉर्म ऑनलाइन भरने की व्यवस्था लागू कर दी. इसके तहत स्टूडेंट्स को सबसे पहले किसी इंटरनेट कैफे या जन सुविधा केंद्र से अपना फॉर्म ऑनलाइन भरवाना होता है.
स्टूडेंट्स यह फॉर्म खुद भी भर सकते हैं, लेकिन 99 प्रतिशत स्टूडेंट्स फॉर्म कैफे या जन सुविधा केंद्र से ही भरवा रहे हैं. जबकि कैफे और जन सुविधा केंद्र संचालक उनसे इसके लिए 200 रुपए तक की उगाही कर रहे हैं. जबकि अगर यही काम स्टूडेंट्स खुद किसी कैफे पर करें तो 10 या 20 रुपए में कर सकते हैं.
सबसे ज्यादा परेशानी गांव देहात के स्टूडेंट्स को हो रही है. क्योंकि फॉर्म भरवाने के लिए उन्हें देहात क्षेत्र से शहर आकर फॉर्म भरवाना होता है.
किस फॉर्म पर हो रही कितनी उगाही-
कोर्स का नाम- यूनिवर्सिटी फीस- कैफे वसूल रहे- अवैध उगाही
ग्रेजुएशन फर्स्ट व सेकेंड ईयर- 1200- 1400- 200
ग्रेजुएशन थर्ड ईयर – 1750- 1900- 150
पोस्ट ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर- 1500- 1700- 200
पोस्ट ग्रेजुएशन फाइनल ईयर- 2150- 2350- 200
एनवायरमेंट साइंस- 825- 1025- 200
1.80 रुपए जीएसटी के नाम पर वसूल रहे 100 रुपए-
40 से 50 हजार स्टूडेंट्स भर रहे हर साल फॉर्म-
प्राइवेट फॉर्म भरने के मेन सेंटर बरेली कॉलेज के कार्यालय अधीक्षक पंकज अग्रवाल बताते हैं कि बीए, बीकॉम, एमए, एम कॉम आदि कोर्सेस के स्टूडेंट्स प्राइवेट फॉर्म भरते हैं और हर साल इनकी संख्या 40 से 50 हजार के बीच होती है.
– ऐसे जमा होती है ऑनलाइन फीस-
ऑनलाइन फॉर्म भरने के साथ- साथ स्टूडेंट्स को डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और नेट बैकिंग के जरिए फीस जमा करनी होती है. ऑनलाइन फीस जमा करने में उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
– इन कारणों से हो रहे उगाही का शिकार-
– गांव में इंटरनेट सुविधा उपलब्ध नहीं
– इंटरनेट कैफे से खुद फॉर्म भरने से डरते हैं स्टूडेंट्स
– 50 पेरसेंट से ज्यादा स्टूडेंट्स के पास डेबिट व क्रेडिट कार्ड नहीं
– कुछ स्टूडेंट्स कार्ड होने के बावजूद नहीं जानते नेट बैकिंग का प्रयोग
– स्टूडेंट्स कार्ड इस्तेमाल करना भी चाहें तो 90 प्रतिशत कैफे पर स्वाइप मशीन उपलब्ध नहीं
– कैफे संचालक स्टूडेंट्स के कार्ड के इस्तेमाल से भी करते हैं परहेज
जीएसटी और नेट बैंकिंग के नाम पर हो रही वसूली-
कैफे संचालक स्टूडेंट्स से जीएसटी, नेट बैंकिंग और फॉर्म ऑनलाइन करने के नाम पर अवैध वसूली कर रहे हैं. संचालकों का कहना है कि उन्हें बार- बार एक ही खाते से पेमेंट करने पर जीएसटी भरना होता है इसलिए वह 150 से 200 रुपए तक अतरिक्त चार्ज स्टूडेंट्स से लेते हैं.
– 20 रुपए में भरा जा सकता है फॉर्म-
स्टूडेंट्स जिस फॉर्म को भरने के लिए 200 रुपए दे रहे हैं, वे उसी फॉर्म को किसी इंटरनेट कैफे पर बैठ कर खुद ही भर सकते हैं और इसके लिए उन्हें सिर्फ 20 या 30 रुपए देने होंगे. स्टूडेंट्स के हिम्मत न दिखाने के कारण उन्हें 200 रुपए का चूना लग रहा है.
स्टूडेंट्स बोले अवैध उगाही पर लगे लगाम-
खुद फॉर्म नहीं भर सकते इसलिए कैफे संचालकों को 100 से 200 रुपए अतरिक्त देने पड़ रहे हैं. कैफे संचालकों की अवैध उगाही पर लगाम लगनी चाहिए.
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