एसआरएम राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं चिकित्सालय में छात्रों की फीस में ही घोटाला हो गया. उनकी फीस के लिए जमा धनराशि में से 1.86 लाख रुपये कॉलेज के खाते में आए ही नहीं. दूसरी ओर, फीस जमा करने वाले छात्रों को कॉलेज की तरफ से रसीद भी दे दी गई. इस मामले की शिकायत शासन तक पहुंची तो कॉलेज के एक क्लर्क को संस्पेड कर दिया गया है.
आयुर्वेदिक कॉलेज में हर क्लास में करीब 40 छात्रों का बैच होता है. उनको कॉलेज में ही फीस जमा करने के बाद प्रवेश दिया जाता है. इस सत्र में छात्रों ने दाखिले के समय जो फीस जमा की थी, उसमें 1 लाख 86 हजार रुपये कॉलेज को मिले ही नहीं. जब सभी छात्रों का दाखिल हो गया और फीस का मिलान किया गया तो पता चला कि छात्र अधिक हैं और फीस कम जमा हुई है. इसके बाद सभी छात्रों की रसीद का कॉलेज के रिकार्ड से मिलान हुआ तो 1.86 लाख का गबन सामने आया. इतना ही नहीं, कॉलेज की कई रसीद बुक भी गायब मिली. कॉलेज प्रबंधन ने मामले की जांच शुरू की. इसकी छानबीन शुरू हुई कि फीस जमा करने के लिए पटल पर किसकी ड्यूटी थी.
जांच में पता चला कि पटल पर क्लर्क प्रशांत शुक्ला की ड्यूटी थी. उससे इस बारे में जवाब तलब किया गया लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. कई दिन तक जांच चली और इस बीच न तो क्लर्क प्रशांत की तरफ से संतोषजनक जवाब दिया गया और न ही खाते में रुपये ही वापस आए. इसकी शिकायत लखनऊ की गई. शिकायत और जांच के बाद निदेशक आयुर्वेद चिकित्सा ने क्लर्क प्रशांत को सस्पेंड कर दिया है.
एक माह की तनख्वाह महज 25 रुपये: एक दिन की ड्यूटी के बदले 1 रुपये भी नहीं मिलेंगे. यही वजह है कि आयुर्वेदिक चिकित्सालयों पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की कमी बनी हुई है. जिले में आयुर्वेद के 51 चिकित्सालय चल रहे हैं. इसमें 6 ओपीडी है और शेष बेड वाले अस्पताल हैं. शासन की तरफ से संविदा पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रखने की अनुमति भी मिल गई है लेकिन वेतन महज 25 रुपये प्रतिमाह दिया जाएगा. इस तरह एक माह में ड्यूटी करने वाले संविदा पर तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को एक दिन का वेतन 1 रुपये भी नहीं मिलेगा. इस समय मजदूरी भी 300 रुपये से अधिक प्रति दिन की मिल रही है.
अस्थायी तौर पर स्वीपर और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तैनात करने की अनुमति तो है लेकिन वेतन पुराने हिसाब से ही है. विभाग में कर्मचारियों की तैनाती मानक से कम है इसलिए उपलब्ध संसाधनों में ही काम चलाना पड़ रहा है. – संजीव मिश्र, क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी