गंगा दशहरा मनाया जाएगा. पुरुषोत्तम मास के चलते इस बार गंगा दशहरा का विशेष महात्म्य है. मगर कुछ लोगों में पर्व को लेकर भ्रम की स्थिति है, जो धर्म शास्त्रों के मुताबिक नहीं होनी चाहिए.
वहीं चौबारी रामगंगा तट पर घाट भी तैयार नहीं हैं. हालांकि ऐसा पुल निर्माण के चलते हो सकता है. वहीं निर्माण के चलते नदी की धार भी बहुत संकुचित हो गई है.
इस बार अधिकमास के चलते पुरुषोत्तम मास चल रहा है. अधिकमास की शुरूआत 16 मई से हो चुकी है, जो 13 जून तक रहेगी. चूंकि पुरुषोत्तम मास भगवान विष्णु का महीना है.
इस दौरान उनकी पूजा, गंगा स्नान, दान अन्य पर्वों और दिनों की अपेक्षा कई गुना बढ़ जाता है. इसलिए गंगा स्नान पुरुषोत्तम मास में ही मनाना चाहिए.
धर्म शास्त्रों के अनुसार अधिकमास के चलते पुरुषोत्तम मास में ही दशहरा मान्य होता है, जो 24 मई को है, जबकि निर्जला एकादशी शुद्ध मास यानी अगले माह 24 जून को मान्य है.
चौबारी के पंडित अंकित शर्मा और आचार्य संतोष शास्त्री का कहना है कि गंगा दशहरा 24 मई को ही है. इसमें कहीं कोई भ्रम नहीं है. आचार्य अरविंद शास्त्री, पंडित सुशील पाठक और आचार्य मुकेश मिश्रा का कहना है कि सभी पंचांग और निर्णय सिंधु आदि ग्रंथ पुरुषोत्तम मास में ही दशहरा मनाने की आज्ञा देते हैं.
वहीं चौबारी स्थित रामगंगा तट पर नदी में पानी की मात्रा बहुत कम है, पुल बनने के चलते जहां तहां निर्माण कार्य होने से नदी की धार भी संकु चित होकर रह गई है, जो करीब 15 मीटर चौड़ी ही होगी. ऐसे में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए स्नान करने में परेशानी हो सकती है.
गंगा तट पर 10 दीपक से करें दीपदान
गंगा दशहरा पर स्नान, दान, पूजा और दीपदान का विशेष महत्व है. इस दिन गंगा में स्नान करके गंगा तट पर 10 दीपक जलाकर दीपदान करें.
10 वस्तुओं का दान करें. विशेष तौर पर प्याऊ लगवाएं. ऐसा करने से दस प्रकार के पापों का नाश होता है. साथ ही ईश कृपा के साथ पितरों की कृपा भी प्राप्त होती है.