अस्पताल की ड्यूटी छोड़कर 10 मेडिकल अफसरों (डॉक्टरों) ने एसआरएम राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं चिकित्सालय में संबद्धता करा ली है. इसके चलते कई आयुर्वेदिक चिकित्सालयों पर मरीजों का इलाज करने वाला कोई डॉक्टर ही नहीं है. जबकि सामान्य तौर पर संबद्धता तभी होती है, जब विभाग के पास पर्याप्त स्टाफ होता है.आयुर्वेदिक चिकित्सा विभाग की तरफ से जिले में 51 अस्पताल चलाए जा रहे हैं. इसमें 15 से 25 बेड वाले 5 चिकित्सालय हैं. यहां मानक के अनुसार दो डॉक्टरों की तैनाती होनी चाहिए.
विभाग के 42 अस्पताल 4 बेड वाले हैं, जहां एक डॉक्टर की तैनाती शासन ने तय की है. इसके अलावा आयुर्वेदिक चिकित्सा की जिले में 6 ओपीडी हैं और यहां भी एक डॉक्टर की तैनाती होनी चाहिए. इस तरह जिले में 56 मेडिकल ऑफिसर होने चाहिए. लेकिन महज 32 मेडिकल अफसर ही तैनात हैं. इसमें भी चौंकाने वाली बात है कि 5 डॉक्टरों ने अपनी संबद्धता एसआरएम राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं चिकित्सालय करा ली है. गैरजनपदों के 5 मेडिकल अफसरों ने भी आयुर्वेदिक कॉलेज में अटैचमेंट ले लिया है. आयुर्वेदिक अस्पताल तो खाली पड़े हैं लेकिन कॉलेज में 10 मेडिकल अफसर तैनात किए गए हैं.
आयुर्वेदिक अस्पताल चल रहे हैं शहर में: कई आयुर्वेदिक अस्पतालों में मरीज का इलाज करने वाला कोई नहीं’ विभाग के पास पर्याप्त स्टाफ होने पर ही की जाती है संबद्धता, जिले से डीओ डॉ. संजीव मिश्र, डॉ. दानवीर, डॉ. मनोज, डॉ. मंजू और डॉ. सीमा को अटैच किया गया है. गैरजनपदों से डॉ. रविन्द्र, डॉ. सुशील गुप्ता, डॉ. राजीव, डॉ. मधु और डॉ. सुनीता यहां संबद्ध हैं. शासन स्तर से हुई यह संबद्धता समझ से परे हैं क्योंकि विभाग पहले से ही मेडिकल अफसरों की कमी से जूझ रहा है.
अन्य अस्पतालों की तुलना में कम है काम: आयुर्वेदिक कालेज में अन्य अस्पतालों की तुलना में डॉक्टरों के लिए काम कम है. यहां ओपीडी में अधिक भीड़ नहीं होती है. साथ ही भर्ती मरीज भी गिनती के होते हैं. कक्षाएं जरूर चलती हैं लेकिन अटैच मेडिकल अफसर सिर्फ चिकित्सकीय कार्य ही कर सकते हैं. जब मरीज ही कम आते हैं तो जाहिर सी बात है कि यहां काम भी कम ही होता है.
एसआरएम राजकीय आयुर्वेदिक कालेज एवं चिकित्सालय में बायोमैट्रिक मशीन लगी है जहां सभी स्टाफ की हाजिरी होती है. खास बात है कि यह एंट्री सिर्फ एक बार होती है. जब स्टाफ वहां आता है जो बायोमैट्रिक मशीन में अपनी उपस्थिति दर्ज कर देता है. वह कब जाता है, इसका कोई हिसाब नहीं होता है.
एसआरएम राजकीय आयुर्वेदिक कालेज एवं चिकित्सालय में रोजाना ओपीडी भी होती है. साथ ही आयुर्वेदिक छात्रों की कक्षा भी चलती है. जिला अस्पताल या सीएचसी-पीएचसी की तुलना में यहां मरीज कम ही आते हैं. जिला अस्पताल में जहां 5 हजार से अधिक मरीज आते हैं वहीं आयुर्वेदिक चिकित्सालय की ओपीडी बमुश्किल 400 से 500 होती है. जिला अस्पताल में महज 26 चिकित्सकों की तैनाती है जबकि आयुर्वेदिक कालेज में 35 से अधिक मेडिकल अफसर हैं.